कैसे मेरे आस पास के सारे घरों के नाम सारी बेटियो के नाम पे होते है। आज ही मां कह रही थी पायल जीजी के यहां कह देना, क्या कह देना था, ये जरूरी नहीं है। गौर करने की बात ये है कि इतने साल हुए बेटियों को ब्याहे हुए, पर आज भी हर एक घर को, उनकी बेटियों के नाम से ही जानते है हम। पायल जीजी, चिंकी जीजी या पिंकी जीजी, रुक्मणि जीजी औरों के बुलावा दे आओ। मेरी जीजी, मेरी बुआ की शादी को बीस बाइस बरस हुए पर आज भी सब यही कहते है, मंजू और के यहा ये कहलवा दो।

कितनी अजीब बात है, कभी कभार मेहमान की तरह ये सब आती है। मेरे छोटे भाई बहनों को तो इनके नाम भर पता है बस।

पर साची बात तो आ छ की, माखे बाई ने ब्याह तो दियों, और अब बे खूब दूर भी होगी होली। पर जया माहरी दादी खेबो करे छ, बेटियां ही तो मन चित की सुनबो करे छ।

और बस शायद इसलिए हम बिदाई तो कर देते है, पर उनका नाम याद रख लेने से, लगता है यही कही आस पास है वो आज भी, घर का ही हिस्सा है।